बीड: Farming Tips: महाराष्ट्र के बीड जिले के घोडका राजुरी गांव के किसान कल्याण घोडके ने खेती के साथ मुर्गीपालन को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है. 2.5 एकड़ जमीन के मालिक घोडके तीन साल पहले छोटी खेती से पर्याप्त आमदनी नहीं कमा पा रहे थे. उन्होंने महसूस किया कि पारंपरिक खेती पर निर्भर रहना परिवार चलाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा. इसके बाद उन्होंने मुर्गीपालन का बिजनेस शुरू करने का निर्णय लिया.
₹50,000 का खर्च आया
बता दें कि कल्याण घोडके ने शुरुआती दौर में सिर्फ दो गुंठा जमीन पर देशी मुर्गियों को पालना शुरू किया. इस पर लगभग ₹50,000 का खर्च आया. उन्होंने मुर्गियों के लिए प्राकृतिक माहौल वाला आश्रय तैयार किया और उन्हें पोषक आहार उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय अनाज, घास और कृषि अवशेषों का उपयोग किया.
गुणवत्ता वाले अंडे और मांस का बिजनेस
गवर्न मुर्गियों के अंडे और मांस की हमेशा बाजार में मांग रहती है. इनके प्राकृतिक स्वाद की वजह से इन्हें ऊंचे दाम मिलते हैं. घोडके के उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण स्थानीय बाजार में इनकी हमेशा मांग रहती है. उन्होंने शुरुआत में छोटे स्तर पर बिक्री की, लेकिन ग्राहकों का विश्वास जीतकर धीरे-धीरे अपने बिजनेस का विस्तार किया. आज उनके बिजनेस से सालाना डेढ़ से दो लाख रुपये की आमदनी होती है.
चुनौतियां और उनके समाधान
मुर्गीपालन में बीमारियां, बाजार में उतार-चढ़ाव और पोषण प्रबंधन जैसी कई चुनौतियां आती हैं, लेकिन घोडके ने समय-समय पर पशु चिकित्सा विशेषज्ञों से परामर्श लिया और मुर्गियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाए.
कल्याण घोडके का अनुभव छोटे किसानों के लिए प्रेरणा है. उन्होंने दिखाया है कि कम जगह और कम पूंजी में भी सफल बिजनेस शुरू किया जा सकता है. उनके अनुसार, पारंपरिक खेती पर पूरी तरह निर्भर रहने की बजाय पूरक बिजनेस ढूंढना जरूरी है. सही योजना और मेहनत के साथ कोई भी बिजनेस सफल बनाया जा सकता है.